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ईपीएस 95 न्यूनतम पेंशन
ईपीएस 95 पेंशनधारक न्यूनतम पेंशन को बढ़ाकर 7500 करने की मांग कर रहे हैं और इसको लेकर सोशल मीडिया पर काफी गुस्सा देखा जा सकता है। सभी प्रधानमंत्री मोदी, श्रम कार्यालय और ईपीएफओ से इस मुद्दे पर तत्काल कार्रवाई की उम्मीद कर रहे हैं। पेंशनधारक अपना गुस्सा जाहिर कर रहे हैं, उनकी निराशा इस पोस्ट में साफ देखी जा सकती है।
सोशल मीडिया पर पेंशनधारकों का गुस्सा
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सभी पेंशनधारकों ने अपनी नाराजगी जाहिर की है। कई सालों से कोर्ट में याचिका दायर करने के बाद भी पेंशन में नामांकन न हो पाने की स्थिति पर सवाल उठ रहे हैं। इसके लिए भारत सरकार को पेंशन बढ़ाने के लिए कई तरह की याचिकाएं दायर की गई हैं और कई सालों से इसका इंतजार किया जा रहा है, हालांकि अभी तक पेंशनधारकों के लिए कोई अच्छी खबर नहीं आई है, कई बुजुर्ग पेंशनधारक वेतन बढ़ोतरी के इंतजार में दुनिया छोड़ चुके हैं।
पेंशन बढ़ोतरी की मांग को लेकर गुस्सा
पेंशनधारकों का गुस्सा इतना बढ़ गया है कि उन्होंने सदन में बार-बार इस मुद्दे को उठाया है, हालांकि नतीजा हमेशा यही रहा है कि दरवाजे हमेशा बंद ही रहे हैं। इसके अलावा इस बात पर भी विचार किया गया है कि पेंशनर्स की पेंशन में बढ़ोतरी को लेकर सदन में कब तक इसे दोहराया जाए। सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि जुमला पीएम इस मामले पर कोई प्रतिक्रिया क्यों नहीं दे रहे हैं।
सरकार पर आरोप
सभी पेंशनर्स ने सरकार और ईपीएफओ पर आरोप लगाते हुए दावा किया है कि वे सिर्फ अपने फायदे के लिए काम कर रहे हैं और पेंशनर्स की समस्याओं को दूसरे लोग देख रहे हैं। गौतम नाम के एक पेंशनर ने लिखा है कि सभी पेंशनर कर्मचारी ईपीएफओ से पैसे लेने का वादा करते हैं और सरकार की जरूरत पूरी की जा रही है लेकिन कर्मचारियों को हर महीने पेंशन के रूप में इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है।
मोदी सरकार पर सवाल
इस संबंध में मुकेश अवस्थी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कही गई कुछ बातों को स्वीकार करते हुए निराशा व्यक्त की है, जिसके अनुसार यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि नरेंद्र मोदी जैसे व्यक्ति ने ईपीएफ 95 के तहत सेवानिवृत्त लोगों की न्यूनतम पेंशन को बढ़ाकर ₹1000 करने का श्रेय लिया है।
हालांकि यह निर्णय वर्ष 2013 में कांग्रेस सरकार ने लिया था, लेकिन मोदी जी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार से उम्मीद है कि वह न्याय करेगी और समिति की सिफारिशों को लागू किया जा सकेगा। इसके अलावा पेंशनभोगियों से यह वादा भी किया गया था कि पेंशनभोगियों की इस याचिका को केंद्रीय समिति के तहत भाजपा सरकार द्वारा स्वीकार किया जाएगा, हालांकि वर्तमान में इसे नजरअंदाज कर दिया गया है।
ईपीएफ 95 पेंशनभोगियों की न्यूनतम पेंशन को बढ़ाकर 7500 रुपये करने की मांग एक बार फिर गंभीर मुद्दा बन गई है। हालांकि सोशल मीडिया पर पेंशनभोगियों का गुस्सा और निराशा साफ तौर पर दिखाई दे रही है, क्योंकि वे चाहते हैं कि सरकार उनकी मांगों को सुने और जल्द से जल्द इसे लागू करे। हालांकि इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और श्रम मंत्रालय की प्रतिक्रिया आना अभी बाकी है। हम इसका बेसब्री से इंतजार करेंगे।